Tuesday 28 March 2017


म्हारी होली
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खेलैं मसान में होरी अघोरी खेलैं मसान में होरी।
भूत-प्रेत सब नाचत गावत, भस्म-भभूत उड्यो री। 
भैरव संग भैरवी नाचत, नाचत शिव संग गौरी। सखी री, खेलै ….
काम-वासना मयी होलिका, साधन अगिन जरयो री।
इन्द्रादिक, सनकादिक तरसे, खेलन को अस होरी। सखी री, खेलै ….
अंतरतम के निज मसान में, खुद बन बैठो अघोरी।
सुरति लगाय प्रिया से अपने, खेलो दिगंबर होरी। सखी री, खेलै ….

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