मकर संक्रांति :
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सूर्य मकरगत सृष्टि में, हुआ प्राण संचार।
बल, सुबुद्धि, आरोग्य का, सबमें हो विस्तार।
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सूर्य मकरगत सृष्टि में, हुआ प्राण संचार।
बल, सुबुद्धि, आरोग्य का, सबमें हो विस्तार।
सबमें हो विस्तार, बढ़े नित भाई चारा।
दुःख-क्लेश सब मिटे, सुखी हो देश हमारा।
दुःख-क्लेश सब मिटे, सुखी हो देश हमारा।
देश सुखी हो, मुल्ला-पंडित रहें किनारे।
अनपढ़ नेताओं को कोई, घास न डारे।
अनपढ़ नेताओं को कोई, घास न डारे।
घास न डालें शत्रु को, दें जवाब माकूल।
एक हाथ में गीता रखें, दूजे में त्रिशूल। ……… आमीन ……… अघोर महाकाल।
एक हाथ में गीता रखें, दूजे में त्रिशूल। ……… आमीन ……… अघोर महाकाल।
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